यादे जो तुमसे हमे जोड़े हुई है


दिन गुज़रा, रात ढल गयी, पर आपकी याद नहीं गयी
सब आके चले भी गए, लेकिन आपकी याद नहीं गयी
चिड़ियों ने चेह चाहाना बंद कर दिया, पर आपकी याद नहीं गयी
चाँद की चांदनी भी आपकी यादो के आगे फीखी पढ़ गयी
भीड़ मै भी हम अकेले से हो जाते है, जाने ऐसा क्यों होता है
कमरे की चार दीवारे कभी काटने को दौड़ आती है
बाहर निकलता हूँ तो आपकी यादे गैर लेती है
आपकी यादो के सहारे हम ज़िन्दा है , इन्हे छीन ना लेना, नहीं तो आपके लिए हम एक याद बनके रह जाएंगे....!!!!

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